शुक्रवार, जून 20, 2008

ताकि बलात्कार का सौदा न हो

राष्ट्रीय महिला आयोग ने बलात्कार पीड़ित महिलाआें को दो लाख रुपये आर्थिक सहायता देने की योजना बनाई है। इस पैसे से उन्हें पुनर्वास, चिकित्सा और कानूनी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। राष्ट्रीय महिला आयोग के इस प्रस्ताव पर महिला एवं बाल विकास मंत्री रेणुका चौधरी ने अपनी मुहर लगा दी है। इसमें २०,००० रुपये तत्काल सहायता, ५०,००० रुपये चिकित्सा सहायता और पुनर्वास के लिए दी जाएगी। इसके बाद एक लाख तीस हजार रुपये की अंतिम राशि दी जाएगी।
आयोग की यह पहल निश्चय ही स्वागत योग्य है, लेकिन विभिन्न सरकारी योजनाआें की दशा को देखते हुए मन में कई सवाल भी खड़े करती है। कुछ हजार रुपये के लिए जान तक लेने पर उतारू अपराधी किस्म के लोग सरकारी योजना के दो लाख रुपये हथियाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे नहीं अपनाएंगे, ऐसा सोचना भी गलत होगा। दो लाख के लोभ में बलात्कारी और बलात्कार पीड़ित साथ मिलकर साजिश रच सकते हैं। संभव है कि बलात्कार की पुष्टि करने वाले सेहत मुलाजिम, केस की जांच करने वाले पुलिसकर्मी और दो लाख की सहायता मंजूर करने वाले सरकारी अधिकारी तक अपना हिस्सा तय कर इस साजिश में शामिल हो जाएं। ऐसे में बलात्कार के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि से इनकार नहीं किया जा सकता। साथ ही यह तय करना मुश्किल हो जाएगा कि सहायता का सच्चा हकदार कौन है। यदि ऐसा हुआ तो वास्तविक पीड़ित दो लाख रुपये पाने के लिए दफ्तरों के चक्कर ही काटती रह जाएंगी।
योजना को लेकर कुछ आशंकाएं तो आयोग को भी हैं, तभी तो आयोग की अध्यक्ष गिरिजा व्यास कहती हैं कि इसे लागू करने से पहले सहायता के मापदंड बनाए जाएंगे, जिससे इसका दुरुपयोग न हो सके। आयोग को चाहिए कि मापदंड तय करने से पहले इसके विभिन्न पहलुआें पर विशेषज्ञों से राय ले, ताकि पूरी तरह दुरुस्त योजना तैयार हो सके, जिसमें जालसाजों के लिए झोल न हो और पीड़ित पापड़ न बेलते रह जाएं।

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