रविवार, अक्तूबर 12, 2008

क्या ऐसे अधिकारी को पद पर बने रहना चाहिए?

इस देश में जब भी अपराध की कोई बड़ी घटना होती है तो हम तुरंत गृहमंत्री से नैतिक आधार पर इस्तीफे की मांगकर बैठते हैं। ऐसे में जब किसी जिम्मेदार पद पर बैठे बड़े अधिकारी का बेटा ही क्राइम का मास्टरमाइंड निकले तो क्या उससे नैतिक आधार पर इस्तीफा नहीं मांगा जाना चाहिए?
पंजाब के फिल्लौर में पिछले गुरुवार की रात मुंबई के एक व्यापारी से पौने दो करोड़ के हीरे लूट लिए गए थे। लूटकी इतनी बड़ी घटना के बाद पंजाब के पुलिस अधिकारियों में खलबली मच गई थी। पुलिस ने आरोपियों का पता लगाने के लिए कई टीमें बनाई और दो दिनों में ही पूरे मामले का खुलासा कर लूटे गए हीरे बरामद कर लिए। खबरों के मुताबिक लुटेरा निकला विजिलेंस ब्यूरो पटियाला के एसएसपी शिवकुमार का बेटा मोहित शर्मा, जो लुधियाना में हीरों का व्यापारी है। साजिश रचने में उसका सहयोगी निकला खुद एसएसपी का सरकारी गनमैन हरबंस। शक की सूई एसएसपी के एक और गनमैन की ओर इशारा कर रही है, जो अभी पुलिस पकड़ से दूर है। मुंबई के व्यापारी ने गुरुवार दिन में मोहित को हीरे दिखाए थे और रात में लूट की यह वारदात हुई। पुलिस ने मोहित और हरबंस को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस की कामयाबी में मोबाइल काल डिटेल्स की अहम भूमिका रही।
मैं इस राय के बिल्कुल खिलाफ हूं कि बेटे की करतूतों की सजा बाप को दी जाए। लेकिन नैतिक जिम्मेदारी भी कुछ चीज होती है भाई।
विजिलेंस के एसएसपी पर आंतरिक सुरक्षा की बड़ी जिम्मेदारी होती है। उसके पास ऐसी महत्वपूर्ण जानकारियां भी होती हैं, जिसके गलत हाथों में पड़ जाने से देश की आंतरिक सुरक्षा को बड़ा खतरा हो सकता है। ऐसे में जब एसएसपी का बेटा क्राइम का मास्टरमाइंड निकले, तो बड़े साहब जिम्मेदारी से कैसे मुक् हो सकते हैं? सवाल यह हैकि यदि एसएसपी साहब को पता था कि उसका बेटा कानून को ठेंगा दिखा रहा है तो बाप की चुप्पी या अपराध नहीं है? और यदि उसे अपने बेटे के बारे में ही पता नहीं था कि उसका बेटा गलत रास्ते पर चल रहा है, तो फिर या उसे विजिलेंस के एसएसपी जैसे अहम पद रहने दिया जाना चाहिए? देश के नीति निर्धारकों को इस सवाल पर सोचना होगा। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि एसएसपी शिवकुमार पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ चल रही विजिलेंस जांच और पंजाब के पूर्व डीजीपी एसएस विर्क के खिलाफ हो रही जांच में भी शामिल हैं।

6 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

नैतिक आधार पर उन्‍हें स्‍वयं इस्‍तीफा दे देना चाहिए।

श्रीकांत पाराशर ने कहा…

Bilkul hata dena chahiye. Bete ki kartut ki saja pita ko kyon na mile. parivar men kisi bhi sadsya ki kartuton ke liye anya sadsyon ko kuch na kuch dand bhugtana padega tabhi log apne bete betiyon ko achhi seekh denge aur unki gatividhiyon par dhyan bhi rakhenge. Hamare desh ke system men aur kanoon men jo pol hai usike karan to apradh badhte jate hain.Police wale apne sathiyon ki, ghar walon ki kartuton ko chhipate rahte hain. koi mamla prakash men aapata hai. pita ki nokari jayegi to bete ki akal thikane aajayegi.

Arvind Mishra ने कहा…

इस्तीफा अवश्य दे दें यदि उनकी कोई सांठ गाठ का कोई प्रथम दृशटया साक्ष्य मिल जाय -नहीं तो इस्तीफा दे देने पर कमज़ोर बाप ही उसी बेटे की लात भी खायेगा !

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

bahut badii baat kah jaate hai aur dheere se kah bhii dete hain GUSTAKHI MAF.
gazab andaaz hai.
badhai......

बेनामी ने कहा…

बेटे की गलती के लिए बाप को क्यों ठोक रहे हो भाई। अपना चिट्ठा है ठोको, कोई थोड़े ही रोकने आ रहा है।.... मेरे विचार से पुलिस ने सराहनीय काम किया है कि एसएसपी के दबाव में न आकर उसके बेटे को दोषी ठहराया है। लेकिन जब तक उसके पिता की संलिप्तता साबित नहीं होती, उसे पद पर बने रहने दिया जाना चाहिए।

विवेक सिंह ने कहा…

जब तक उसके पिता की संलिप्तता साबित नहीं होती, उसे पद पर बने रहने दिया जाना चाहिए।