मंगलवार, अक्तूबर 14, 2008

अमर सिंह! अभी और कितने टर्न लेंगे?

खबर : दिल्ली के बटला हाउस में हुए एनकाउन्टर की न्यायिक जांच कराने की मांग कर विवादों में घिरे समाजवादी पार्टी महासचिव अमर सिंह ने सोमवार को यू टर्न लेते हुए कहा कि उन्होंने बटला हाउस मुठभे़ड को कभी फर्जी नहीं कहा। उन्होंने कहा, 'मैं यह नहीं कह रहा हूं कि बटला हाउस में हुई मुठभे़ड और पुलिस अधिकारी की शहादत फर्जी थी।`
गुस्ताखी माफ : तो फिर इतने दिनों से मुठभे़ड की न्यायिक जांच की मांग केवल मुसलिम वोट बैंक को भरमाने के लिए कर रहे थे? अल्पसंख्यक वोट बैंक के लिए यूं कब तक घड़ियाली आंसू बहाते रहेंगे? बटला हाउस में एनकाउन्टर में अभी कितने और टर्न लेंगे?

खबर : राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक के एजेंडे में आतंकवाद को शामिल नहीं किए जाने को लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना के बारे में पूछे जाने पर अमर सिंह ने कहा कि उग्रवाद का मुद्दा एजेंडे में शामिल था। मैं इस प्रकार की बातों से परेशान नहीं होता। मैं तथ्यों और अल्पसंख्यकों के मन में जो आशंकाएं हैं, उससे परेशान हूं उनकी आशंकाआें को दूर किए जाने की जरूरत है।
गुस्ताखी माफ : आशंकाएं तो बहुसंख्यकों के मन में भी हैं। फिर एकपक्षीय राजनीति क्यों? नरेंद्र मोदी आतंकवाद के मुद्दे पर राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में बहस की मांग कर क्या गलती कर रहे हैं। क्या राष्ट्रीय एकता को आतंकवाद से खतरा नहीं है? या फिर आतंकवाद पर चर्चा होने से आपका मुसलिम वोट बैंक नाराज हो सकता है?

खबर : कुछ दिन पहले अमर सिंह ने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर जामिया नगर के बटला हाउस में हुई मुठभे़ड की न्यायिक जांच कराने की मांग की। हालांकि, प्रधानमंत्री की ओर से उन्हें किसी तरह का आश्वासन नहीं मिला। ... अमर सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ बैठक के दौरान गृहमंत्री शिवराज पाटिल के इस्तीफे की मांग नहीं उठाई है।
गुस्ताखी माफ : एनकाउंटर के बाद गिरफ्तार छात्रों को कानूनी मदद देने का ऐलान करते समय तो आपने कहा था कि बटला हाउस एनकाउंटर के लिए गृह मंत्री शिवराज पाटिल को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए फिर प्रधानमंत्री से मुलाकात में यह मुद्दा यों नहीं उठाया? क्या आपके खाने के दांत और दिखाने के दांत अलग-अलग हैं?

12 टिप्‍पणियां:

ye to bada toing hai ने कहा…

क्या बंधु आप भी किसकी बात लेकर बैठ गए। दलाल सलाम की बात को सीरियसली ले रहे हो।
अमर सिंह, अर्जुन सिंह
वीपी सिंह और शरद पवार
चारों करें देश का बंटाधार
इनकी बातों में जो आए
जो इनकी भोर में तस्वीर भी देखे
उसके दिन का बे़डा गर्क हो जाए।
चारों करते हैं बातें बेवकूफी की
वीपी ने दी हमको बेरोजगारी
करके आरक्षण की मार
अर्जुन बुढ्ढ ा सठिया गया है
लगता है तुगलक की औलाद
जो करे अंट-शंट काम
शिक्षा का चौपट कारोबार
अमर सिंह तो दलाल सलाम है
उसकी बातों में न दम खम
जब देखो अमिताभ का उठाए पल्लू
घूमता रहता है हरदम
शरद पवार के न आंत रह गई
और नाही मुख मंे दांत
फिर भी सोनिया के पीछे
लगा रहता है पाने को
उसकी एक झप्पी
वाया कांख्,ा।
बंधु टोइंग है मामला
न पड़ो इनके फेर में
काहे व्यर्थ माथा खपाते हो
इन चुतियन के चककर में।

अमित अग्रवाल ने कहा…

ये सब अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की राजनीति का नतीजा है साहब! आप हम और खुद अमर सींग सिंह भी इस बात को जानते हैं।

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

अमर सिंह राजनीति का वह बंदर है जो तरह तरह की टोपियों में नजर आते रहते है।

बेनामी ने कहा…

अमर सिंह के बारे में कौन नहीं जानता। कारपोरेट भड़ुवे हैं। यूटर्न का क्‍या, वह तो वोटों की राजनीति करने वाले सभी लोग कभी भी ले लेते हैं।

Gyan Darpan ने कहा…

इस तरह के नेताओ पर तो बात करना ही अपना समय ख़राब करना है,अमरसिंह, रामविलास पासवान ,अरुंधती राय आदि का तो हमें सामाजिक बहिस्कार ही करना चाहिए , मिडिया को भी इन्हे कवरेज़ नही देनी चाहिए ये लोग अपने उलजलूल वक्तव्यों से समाज व देश का अहित ही कर रहें है |

kumar Dheeraj ने कहा…

ओडीसा में हिंसा जारी है । मामला ओडीसा के आदिवासी समुदाय का ईसाई धमॆ में परिवत्तॆन को लेकर है । जारी हिंसा इतना तेज हो चला है कि कई लोगो को वहां जान गंवानी पड़ी है ।३०० गांव को तहस-नहस कर दिया गया ,४३०० घर जला दिये गये । ५० हजार लोग बेघर हो गये । लगभग १८००० लोगो को चो‍‍ट आई १४१ चचॆ तोड़ दिए गए । १३ स्कूल को बन्द कर दिया गया । ये आंकड़े है उड़ीसा में आदिवासी समुदाय पर हुए अत्याचार का ।यू कहे तो बजरंग दल १९९५ से इस प्रकार की हिंसा करते आ रहे है । आस्टेलिया के ईसाई मिशनरी ग्राहम स्टेट और उनके बच्चे की हत्या इसका प्रमाण है । राज्य के मुख्यमंत्री बीजू पटनायक बजरंग दल को समॆथन दे रखे है । सीधे तौर पर कहा जाय तो कि भाजपा के साथ सरकार में शामिल पटनायक ने धमाॆतरण को रोकने के लिए अपने दल और अन्य साथी समूहो को छूट दे रखी है । लेकिन मसला यह है कि बजरंग दल बार-बार कहती आयी है कि ईसाई मिशनरी पैसे का लालच देकर धमॆ परिवत्तॆन करा रही है । लेकिन राज्य में कानून है और एक भी मामला अभी तक इस तरह के मामले का सामने नही आया है । फिर सरकार के पास कानून है तो उसने इसका ठेका बजरंग दल को क्यो दे रखा है । समझ से परे है । सवाल यह भी है कि धमॆ परिवत्तॆन की जरूरत क्यो पड़ी । और इस परिवत्तॆन के पीछे कौन जिम्मेवार है सरकार ने गरीव आदिवासी तबको के लिए ऐसे उपाय क्यो नही किये जिससे इसे रोका जा सकता था । और जहां तक मामला पैसे लेकर कराने का है तो अभी भी ईसाई की संख्या ओडीसा में केवल ९ लाख है जो राज्य की पूरी जनसंख्या का ढाई प्रतिशत है । अगर ऐसा होता तो आदिवासी के लिए सबसे अच्छा वक्त अंग्रेजो के समय का था जब वे आसानी से अपना धमॆ बदल सकते थे । लेकिन उस समय ऐसी कोई बात नही थी ।
भाजपा १९६० से ही ओडीसा पर शिकंजा कसने की फिराक में है । जो १९६४ में राउरकेला ,१९६८ में कटक और १९८६ में मदक और १९९१ में पूरे देश में हुए हिन्दु -मुस्लिंम दंगो से पटा है । इतना ही नही जिसका खामियाजा १९६६ के बाद के साल में भाजपा को लक्ष्मिनंद सरस्वती की मौत से मिला है । १९६६ में संध और भाजपा ने मिलकर सरस्वती को मुसलमानो औऱ ईसाईयो पर शासन करने और उसे शांत करने के लिए भेजा था । इस तरह भाजपा का इतिहास यहां क्या रहा है कहना ठीक नही है । लेकिन ताजा जो स्थिति है उसमें बजरंग दल के ऊपर लगाम लगाने का काम ओडीसा सरकार का है नही तो जिनके घर औऱ बच्चे जलेंगे उनके बारे में क्या कहा जाए । जो भी हो अच्छी फसल तैयार नही हो पायेगी । जिसका खामियाजा आज देश झेल रहा है । इसलिए ऐसा कोई कदंम न आगे बढे जो समाज को दिशा से भटकाये और फसलो को ही बबाॆद कर दे ।

विवेक सिंह ने कहा…

ऐसे लोगों को शर्म थोडे ही आती है . कुछ भी हो मुस्कराते हुए मिलेंगे .

राज भाटिय़ा ने कहा…

मै तो सोचता ही नही इन गन्दे लोगो के बारे, खाम्खा मै दिमाग भी खराब क्यो करे, वेसे आप का लेख बहुत ही सही ओर सटीक लगा.
धन्यवाद

Dr. Ashok Kumar Mishra ने कहा…

samaik muddon ko achchey dhang sey uthaya hai aapney.

अवाम ने कहा…

इस देश के अधिकांश नेता चोर है. पल में टोला पल में माशा वाला हाल सभी का है. इन्हे देखकर अब तो गिरगिट भी शर्माने लगे है तभी तो गिरगिट आजकल कम दिखाई देते है.

शेरघाटी ने कहा…

bahut khoob!

kya andaz hai janab!

नमस्कार!
कैसे हैं आप ?

ज़रूर पढिये,इक अपील!
मुसलमान जज्बाती होना छोडें
http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/2008/10/blog-post_18.html
अपनी राय भी दें.

बेनामी ने कहा…

कितने दिन तक आप अपने ब्‍लाग पर टर्न होंगे।