
अजी जनाब! आपको अपने बच्चों की मदद करनी थी, करते। किसने रोका है। मदद तो करनी ही चाहिए एक गुरु को अपने शिष्यों की। पहले उन्हें बेगुनाह साबित करते, फिर उस साजिश को भी बेनकाब करते जो आपकी नजर में रची गई थी। लेकिन आपने कुछ करने से पहले चीख-चिल्ला कर एक बात साबित कर दी है कि आपके इरादे काम मुकम्मल होने से ज्यादा पब्लिसिटी पाने की है। जहां तक मैं जानता हूं, इसलाम में जब जकात दी जाती है तो किसी को पता नहीं चलता। यही शर्त मददगार के लिए भी लागू होती है। लेकिन मदद देने से पहले उसे इस तरह से प्रचारित करने के पीछे छिपी आपकी मंशा खतरनाक लगती है।
हिंदुस्तान में आज भी लोग जब अपनी औलाद खराब निकल जाती है तो अखबारों में इश्तिहार छपवा देते हैं कि हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन उसी हिंदुस्तान का कानून फांसी की सजा पाए गुनहगार से भी उसकी आखिरी इच्छा पूछता है। हमारा कानून सबको कानूनी मदद भी देता है। आप भी दे रहे हैं। यह कतई गुनाह नहीं है। लेकिन इसके पीछे जो राजनीति हो रही है, वह गुनाह है।
मेरा आपसे एक सवाल है, जबसे होश संभाला कभी मुरादाबाद में दंगे देखे तो कभी इलाहाबाद में, कभी मेरठ को जलते देखा तो कभी गुजरात को, या आपलोगों ने शिद्दत के साथ कोई लड़ाई लड़ी? नहीं न। अगर लड़ी होती तो आज पुलिस फोर्स में पढ़े-लिखे मुसलमान युवकों की संख्या काफी होती। जनाब! आप उस यूपीए की गोद में बैठ रहे हैं, जिसके नेताओं ने पिछले करीब पांच सालों में मुसलिम वोट बैंक के लिए मौके मिलते ही घड़ियाली आंसू बहाने के अलावा कुछ खास नहीं किया। आप लोग सच्ची बात करने में क्यों हैं? क्या आपने वह कानून पढ़ा है, जिसे पोटा की जगह कांग्रेस ने बनाया है? सिर्फ नाम हटाया है, प्रावधान वही हैं।
आतंकवाद का न कोई धर्म होता है, न ही ईमान। गुरुओं ईमान जरूर होता है। सबसे पहले गुरुओं को अपने अंदर झांक कर देखना पड़ेगा कि उनकी शिक्षा में कहां कमी रह गई जो हालात इतने खराब हो रहे हैं और युवा भटक रहे हैं।
मेरी दुआ है कि आप अपने मकसद में कामयाब हों और अपने बच्चों को बेगुनाह साबित कर सकें। लेकिन अगर वे वाकई में आतंकवादियों की नापाक साजिशों का शिकार होकर गलत रास्ते पर चल निकले हैं, तो उन्हें रास्ते पर लाने के लिए आपने कुछ सोचा है? अगर आपके छात्रों पर आतंकियों का साथ देने का आरोप सच साबित हो गया तब आप या करेंगे? यह भी आपको अभी ही सोचना पड़ेगा। आपके साथ उन तमाम लोगों को सोचना पड़ेगा, जिन्होंने इस मामले को राजनीतिक बना दिया है।