सोमवार, सितंबर 08, 2008

है कोई हिंदी का लाल, जो मुझे रोक सके

कौन कहता है कि हिंदी हैं हम वतन है हिंदोस्तां हमारा।
ये बच्चों को कौन सिखा रहा है कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है।
पता करो, मैं उसका जीना हराम कर दूंगा।
मैं हूं राज ठाकरे, असली मराठी भ त।
यह महाराष्ट्र मेरा है और जिसे यहां रहना है उसे मेरे इशारे पर नाचना होगा।
आज सोमवार को मैं अमिताभ, अभिषेक और जया बच्चन की फिल्मों और हिंदी में किए गए उसके विज्ञापन वाले तमाम उत्पादों का महाराष्ट्र में बहिष्कार करने का फरमान जारी कर रहा हूं।
यह तो शुरुआत है। धीरे-धीरे मैं महाराष्ट्र में हिंदी में बोलने वाले हरेक मुंह पर ताले लगा दूंगा और हिंदी में लिखे गए हर शब्द को मिटा दूंगा।
...
जब भी मैं जोश में होता हूं तो ऐसा ही सोचता हूं। लेकिन फिर होश में आने पर लगता है कहां-कहां से हिंदी मिटाऊंगा? या- या बंद कराऊंगा- उत्पाद, टीवी, अखबार, पत्रिकाएं, किताबें, महाराष्ट्र में आने से या- या रोक पाऊंगा?
फिर सोचता हूं जबतक हिंदी वाले होश में नहीं आते, मुझे अपना जोश बनाए रखना चाहिए।
है कोई हिंदी का लाल, जो मुझे रोक सके???

5 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

मराठी और हिन्दी मे द्वेष पैदा करने की कोशिस करने वाले लोग सभी साम्राज्यवादी शक्तियो के दलाल है। राज ठाकरे के बातों को बिल्कुल महत्व नही दिया जाना चाहिए। वह एक पागल कुत्ता है।

राज भाटिय़ा ने कहा…

जिस देश की सरकार लगडी लुली हो वहां ऎसा ही होता हे.

राजीव उत्तराखंडी ने कहा…

raj thare to boraya hua hai. par jaya bachan ko kya ho gya h. ek tarf pura mumbai bihar ki badh ke liye madad juta rha tha, yhan tak ki Rakhi Sawnt bhi isme shamil hui, dusri or bachan family apni kamai ke fher me raj ki hi tarh bhdkaoo byan de rhi thi.yani ki jya ho ya raj, dono utpatang byan dekr media me chye rhna chahte hn.deshwasi jaye bhad m unki bla se.

ओमकार चौधरी ने कहा…

राज ठाकरे जैसों की सोच पर तरस आता है. ये ही कहा जा सकता है कि ये नहीं जानते, कि ये क्या कह रहें हैं, क्या कर रहे हैं. ऊपर वाला इन्हे सही सोचने समझने कि शक्ति दे. ये ही प्रार्थना की जा सकती है.

शोभा ने कहा…

यह इस देश का दुर्भाग्य ही है कि देश से अधिक प्रान्त को महत्त्व दिया जाता है. अच्छा लिखा है. बधाई.