शुक्रवार, सितंबर 12, 2008

राष्ट्रभाषा के दुश्मनों, गुस्ताखियां जारी रखो

सैकड़ों जातियों और भाषाआें का देश भारत भले ही अनेक क्षेत्रीयमुद्दों पर उलझा है, लेकिन जब भी कोई तानाशाही ताकत इसकी राष्ट्रीयअस्मिता पर हमले करता है, भारतवासी खुद को एक-दूसरे के औरकरीब पाते हैं। इसके अनेक उदाहरण हमारे इतिहास एवं वर्तमान मेंमौजूद हैं। इसीलिए तो कहा गया है- 'कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहींहमारी`
मुंबई में राष्ट्रभाषा हिंदी और हिंदीभाषियों को गाली देने वाले उपद्रवियोंने एक बार फिर इसे सच साबित किया। आज दुनिया भर में यह सवालपूछा जाने लगा है कि मुंबई किसकी? राष्ट्रभाषा के अपमान पर पूरा राष्ट्रचुप यों? महाराष्ट्र वासी भी राष्ट्रभाषा के अपमान से कम आहत नहीं हैं। तो किसी के हिंदी बोलने से मराठी का अपमान होता है और हीमराठी बोलने से हिंदी का। भाषा का विवाद सीधे-सीधे बोलने कीआजादी पर हमला है। तभी तो कांग्रेस नेता संजय निरूपम एक टीवी चैनल से बातचीत में दोटूक कहते हैं कि 'सदीके महानायक अमिताभ बच्चन और सुपर हीरो शाहरुख खान ने अपने शहर को छोड़ कर मुंबई का मान बढ़ाया है।मुट्ठीभर लोग सिर्फ पब्लिसिटी के लिए गैरकानूनी तरीके से उनका विरोध कर रहे हैं।`
सदी के महानायक आज भले ही अपनी पत्नी के हिंदी बोलने पर माफी मांगने की जल्दीबाजी में दिखे, लेकिन इससेउनका कद छोटा नहीं हुआ। करोड़ों भारतवासियों में उनका सम्मान बढ़ा ही है। साथ में बढ़ रही है राष्ट्रीय सत्ता औरगांधी परिवार से उनकी नजदीकियां। मुंबई में एक सिनेमाहाल के सीसे टूटने के साथ अमिताभ की नई अंग्रेजीफिल्म को व्यापक प्रचार मिला सो अलग। कुल मिलाकर दावे के साथ कहा
जा सकता है कि राष्ट्रभाषा के दुश्मनचाहे जितनी गुस्ताखियां कर लें, राष्ट्रभाषा के प्रति सम्मान बढ़ता ही जाएगा।

2 टिप्‍पणियां:

जितेन्द़ भगत ने कहा…

आपने सही बात पकड़ी है-
'महाराष्ट्र वासी भी राष्ट्रभाषा के अपमान से कम आहत नहीं हैं। न तो किसी के हिंदी बोलने से मराठी का अपमान होता है और न ही मराठी बोलने से हिंदी का।'

ओमप्रकाश तिवारी ने कहा…

राष्ट्रभाषा के दुश्मनचाहे जितनी गुस्ताखियां कर लें, राष्ट्रभाषा के प्रति सम्मान बढ़ता ही जाएगा।