बुधवार, सितंबर 10, 2008

चैनलों को दहशत फैलाने की आजादी कबतक?

महाप्रयोग से धरती का कुछ नहीं बिगड़ा। लेकिन दुखद यह है कि करोड़ों लोगों को मौत का खौफ दिखाकर टीआरपी (यह 'टेरर रेस्पांस पारामीटर` बन रहा है) बढ़ाने वाले चैनलों का भी कुछ नहीं बिगड़ा। किसी वैज्ञानिक या विशेषज्ञ की टिप्पणी के बिना ही कुछ समाचार चैनल दुनिया के खत्म होने की उलटी गिनती करते रहे। न कोई रोक, न कोई टोक, जो मर्जी हो दिखाते रहो। इससे कोई खौफजदा होता है तो होता रहे।
ये चैनल कभी शनि महाराज का खौफ दिखाकर बेखौफ अपनी दुकान चमकाते हैं, तो कभी ग्रहण के दुष्प्रभाव या कुछ और। ऐसे चैनलों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनके द्वारा दिखाई गई बेतुकी खबरों से करोड़ों लोग तनाव में आ जाते हैं। नतीजा भी सामने है, उत्तर प्रदेश के कायमगंज (फर्रुखाबाद) में मंगलवार को एक बुजुर्ग टीवी पर इस काल्पनिक महाप्रलय की खबर देख रहे थे। उसी दौरान उनके पोतों ने जब उनसे इसकी चर्चा की तो उनकी सांसें ही थम गइंर्। इसी इलाके में एक कालेज छात्रा को अत्यधिक तनाव के कारण गंभीर हालत में अस्पताल में दाखिल कराया गया है। बच्चों पर इसका असर तो और भी घातक है। देश के करोड़ों बच्चे आज अनिष्ट की आशंका और दहशत के साथ स्कूल गए। यह तो बानगी भर है। पिछले कुछ दिनों में बड़ी संख्या में ऐसे मरीज अस्पताल पहुंचे होंगे, जिनकी बीमारी का सही अनुमान ही नहीं लगाया जा सका होगा।
बिना किसी प्रमाणिकता के बेतुकी खबरें दिखाकर आतंक फैलाने की आजादी आखिर कब तक? ऐसे चैनलों पर यों नहीं तत्काल प्रतिबंध लगा देनी चाहिए?

12 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

ऎसी बकवास सिर्फ़ हमारे चेनल ही दिखा सकते हे, क्योकि इन्हे इस बकवास से रोकने वाला कोई नही, मे यहां जर्मनी मे उस स्थान से करीब १५० कि मी दुर रहता हु, ओर यह एक छोटी सी खबर हे यहां ,टी वी पर सिर्फ़ १५ सेक्ण्ड ओर अखवार के आखरी पेज कर एक छोटी सी फ़ोटो के साथ छोटा सा बिबरण.

अगर भारतीया टीबी चेनल की तरह से यहां के चेनल यह वकबास दिखाये तो उसी समय उस खबर देने वाले को अन्दर कर दिया जाये गा ओर उस चेनल का लाईसंएन जबत कर लिया जाये गा, अफ़्गाह फ़ेलाने के जुरम मे
धन्यवाद

श्रीकांत पाराशर ने कहा…

Bhatiaji theek kahte hain parantu hamare channel walon ko malum hai ki yah india hai meri jaan, yahan sab kuch chalta hai. Aajkal to channel jitna aam aadmi ka bura kar rahe hain utna to koi dushman bhi nahi karta. maje ki baat yah hai ki badi se badi galti karne ke bad bhi inka kuch nahi bigdata. ye besharmi se apna rukh badal dete hain. In sabko ek baar germany bheja jana jaruri karna chahiye.

Unknown ने कहा…

accha likha hai...likhte rahiye.

कुन्नू सिंह ने कहा…

एक कमी हो तो कोई बात हो। ज्यादा से ज्यादा 15-20 मीन्ट दीखाते(हर रोज) और फीर महाप्रल्य का नाम भी नही लेते। तो ठीक होता।

कोई कानून लगाना गलत होगा क्यो की ईस तरह मीडीया की आजादी खतरे मे पड जाएगी (घयान से सोचने वाली बात है)

कूछ ऎसा होता जीससे टीआरपी हट सक्ता । और ऎसा बन जाता की जो जीतना अच्छा न्यूज देगा वही आगे

जितेन्द़ भगत ने कहा…

सही बात उठाई आपने।

डा. अमर कुमार ने कहा…

.

ऎ भाई, जनताअपने टी.वी रिमोट का सदुपयोग नहीं करती..
चैनल वाले क्या करें ?

Satyajeetprakash ने कहा…

विजय जी,
मैंने बॉडकास्टिंग मिनस्ट्री की चिट्ठी देखी है, उसमें साफ साफ लिखा गया है कि मीडिया किसी ऐसी सामग्री को प्रसारित न करे जो भय का कारण बने, लेकिन अपंग मिनिस्ट्री को सुनता कौन है. जो मन में आ रहा है, दिखाए जा रहे हैं.

Arsh ने कहा…

बहुत खूब राजन साहब, काफ़ी खूबसूरत विचार हैं आपके, ऐसे चैनल्स के ख़िलाफ़ ज़रूर ही कारवाई होनी चाहिए जो केवल सनसनी फैलाने के लिए खबरे देते हैं। इन्ही सब कारणों की वजह से हमने यह न्यूज़ चैनल देखना कब का बंद कर दिया.

Satyajeetprakash ने कहा…

क्या करे जनता, कम से कम हिंदी वालों के पास कोई विकल्प नहीं है. वह कहां से देखे सही खबरें, सच दिखाने का दावा करने वाला चैनल कम्युनिष्ट का धर्मनिरपेक्षी मुखौटा पहने हुए है बाकी सबका, यहां शाख-शाख पर उल्लू है. अंजामे गुलिस्ता क्या होगा.

संगीता पुरी ने कहा…

कुछ दिनों तक हमारे महल्ले के सारे बच्चे काफी डरे हुए थे। सब एक दूसरे से विदाई ले रहे थे , पता नहीं कल मिल पाएंगे या नहीं। मनोवैज्ञानिक रूप से कमजोर बच्चों के दिमाग या शरीर के किसी अंग में कोई गड़बडी हो जाए तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ?

ओमप्रकाश तिवारी ने कहा…

काफ़ी खूबसूरत विचार हैं आपके

रंजन राजन ने कहा…

मेरे चिट्ठे पर पधारने और कामेन्ट लिखने के कष्ट के लिए आप सभी का हृदय से धन्यवाद।